landscape in oil

कला   सत्य  का  अनुकरण है ।
कला अभिव्यक्ति  है।
कला  भाव  है  , कला  संगीत है, कला  प्रेम  है,
कला  काव्य है । कल सर्वस्य  है।

कलाकार सिर्फ वही है जो सभी कलाओ का सम्मान करे ।
कला वो अभिवक्ति  है जो इस प्रथ्वी पर प्रकाश और ध्वनी के बाद आई ।
किसी भी  भाषा किशी भी लिपी से पहले आयी।
कला के विकास के बाद ही मनुष्य का विकास हुआ । 

कला को सर्वस्य मानकर चलना इतना सहज नहीं होता ।

एक कलाकार के जीवन की तपस्या को केवल एक कलाकार ही समझ सकता है। मुझे तो ये लगता है कि कोई भी कलाकार अपने जीवन में अपनी कृतियो से कभी संतुस्ट नहीं हो पाता । हर कलाकार को अपनी कमिया स्वयं दिखाई देती है  और वो अपनी कमियां तलास करते करते अपना जीवन गुजार देता है। जिसे ये लगता है कि वो संपूर्ण कला का ज्ञाता बन गया है वो वास्तव में अपनी जीवन की सबसे बड़ी मूर्खता कर देता है और वही से उस व्यक्ति का काला की दुनिया में पतन होंना प्रारम्भ हो  जाता है ।

कला एक स्वन्त्र  भाव है जिसे सिर्फ उसका निर्माता और उसका दर्शक ही देख पाता है । 

मै कला का व्यख्यान करने में असमर्थ हूं कला कोई मजाक नहीं अपितु कला वो दर्शन है जो मानव को इतिहाश से जोडता है 


Comments

Popular Posts